Saturday, October 11, 2008

प्रार्थना |


है प्रार्थना गुरुदेव से, ये स्वर्ग सम संसार हो |
अति उच्चतम जीवन बने, परमार्थमय व्यवहार हो ||

न हम रहे अपने लिए, हमको सभी का ख्याल हो |
गुरुदेव ये आशीष दे, आत्मप्रेम का विकास हो ||

हम हो पुजारी सत्य के, गुरुदेव के आदेश के |
सच प्रेम के, नितनेम के, सत्धर्म के, सत्कर्म के ||

रहे दूर झूठी राह से, अन्याय से, अभिमान से |
सेवा करे हम गुरुजनों की, प्यार से , आभार से ||

छोटे न हो हम बुद्धि से, हो विश्वमय से ईशमय |
हो राममय और कृष्णमय, जगदेवमय, जगदीशमय ||

सब इन्द्रियों पर काबू कर, हम वीर हो, अति धीर हो |
उज्जवल रहे जीवन सदा, नीज धर्मरत हम वीर हो ||

अति शुद्ध हो आचार से, तन- मन हमारा सर्वदा |
अध्यात्म की शक्ति से हमें, पल भर नही करना ज्युदा ||

झेलकर गुरु की कृपा को, हम सुखी जीवन जीये |
इसी जन्म में अमर आत्म का, दीदार कर के हम रहे ||

......................................संत श्री आसारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित "ऋषि प्रसाद ", जून, २००८ (मासिक पत्रिका)